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इतिहास और प्रमुख उपलब्धियां

राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (NIH), जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, के अंतर्गत एक प्रमुख अनुसंधान और विकास संस्थान है। इसकी स्थापना 1978 में एक स्वायत्त समिति के रूप में रुड़की स्थित मुख्यालय में हुई थी। राजसं के मुख्य उद्देश्य में जलविज्ञान के सभी पहलुओं में व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्यों का संचालन, सहायता, प्रोत्साहन और समन्वय करना है। संस्थान को 1987 में एस एंड टी संस्थान घोषित किया गया था।

संस्थान के शोध निष्कर्ष प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सेमिनारों एवं सम्मेलनों में रिपोर्ट और शोध पत्रों के रूप में प्रकाशित होते हैं।

  • संस्थान द्वारा तकनीकी रिपोर्ट, ब्रोशर, पत्रक, अत्याधुनिक रिपोर्ट आदि के रूप में प्रकाशित प्रकाशन भारत में विभिन्न उपयोगकर्ता एजेंसियों के साथ-साथ विदेशों में भी व्यापक रूप से प्रसारित किए जाते हैं, जिससे जलविज्ञानीय साहित्य और ज्ञान समृद्ध होता है।
  • संस्थान ने वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए कई परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया है।
  • संस्थान ने जलविज्ञानीय विश्लेषण और डिजाइन के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं जिनका उपयोग विभिन्न व्यावहारिक समस्याओं को हल करने के लिए किया जा रहा है।
  • राजसं ने अत्याधुनिक उपकरणों और सॉफ्टवेयर से सुसज्जित जल गुणवत्ता, सुदूर संवेदन और जीआईएस, नाभिकीय जलविज्ञान और मृदा तथा जल प्रयोगशालाओं की स्थापना की है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम के तहत, संस्थान ने जलविज्ञान और जल संसाधनों के क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर पूरे देश में छोटी अवधि के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किए हैं। इन पाठ्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रतिभागी केंद्र और राज्य सरकार के संगठनों, शैक्षणिक एवं अनुसंधान और विकास संस्थानों, निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों से आते हैं।
  • राजसं ने कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन भी किया है।
  • संस्थान के कई वैज्ञानिकों ने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में अपने शोध कार्यों को प्रकाशित के लिए पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
  • जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत, संस्थान ने महिलाओं और छात्रों के लिए कई aसंरक्षण और प्रबंधन के लिए अभियान शुरू किए गए हैं।
  • संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के वित्त पोषण से कई अंतरराष्ट्रीय सहयोगी परियोजनाएं पूरी की हैं। इनमें शामिल हैं: दो यू.एन.डी.पी वित्त पोषित परियोजनाएं, डब्लू.ए.एम.टी.ए.आर.ए, यूरोपीय समुदाय द्वारा वित्त पोषित एस.एच.ई मॉडल परियोजना, यू.एस.ए.आई.डी द्वारा वित्त पोषित पेलियो फ्लड अध्ययन, विश्व बैंक सहायतित जलविज्ञान परियोजना- I और II, आदि। राजसं ने यूनेस्को, आई.ए.ई.ए वियना, पारिस्थितिकी और जल विज्ञान केंद्र, यू.के आदि के साथ मिलकर काम किया है।
  • वर्तमान में चल रही राष्ट्रीय जलविज्ञान परियोजना के अंतर्गत, राजसं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, अनुसंधान और विकास के लिए प्रयोजन चालित अध्ययन (PDS) हेतु प्रमुख एजेंसी है और जलविज्ञानीय मॉडलिंग में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित कर रहा है।
  • संस्थान में जल शक्ति मंत्रालय की अनुसंधान और विकास योजना, भारतीय राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समिति (INC- CC) का सचिवालय है
  • राजसं के वैज्ञानिकों के भारतीय मानक ब्यूरो के कार्यों में कई योगदान हैं।
  • संस्थान इंडियन एसोसिएशन ऑफ हाइड्रोलॉजिस्ट का सचिवालय है।