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परिचय

डॉ० सुरजीत सिंह
वैज्ञानिक-जी एंव अध्यक्ष
हिममंडल और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान
रुड़की – 247667 (उत्तराखण्ड), भारत
फ़ोन: 01332-249230
फैक्स: 01332-272123, ईमेल: surjeet[dot]nihr[at]gov[dot]in

हिम और हिमनद हिमालयी जलविज्ञान के महत्वपूर्ण घटक हैं। हिमालय के हिमनदों तथा हिमनद झीलों का वैज्ञानिक अध्ययन सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। जलवायु परिवर्तन के वर्तमान परिदृश्य में, अनुप्रवाह क्षेत्रों में जल सुरक्षा के लिए हिमनदों और हिमनदगलन विशेषताओं की नियमित निगरानी अत्यंत आवश्यक है । भूमंडलीय ऊष्मीकरण और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरुप, कई हिमनद और हिमनद झीलें असुरक्षित हो रही हैं। वायुमंडल के गर्म होने के कारण हिमालय में, कई हिमनद और हिमपुंज में कमी हो रही हैं तथा हिमालयी जल स्रोतों (स्प्रिंग) में जल प्रवाह कम हो रहा है, जिसका एक महत्वपूर्ण कारण हिमालयी जलविभाजकों से प्रेरित हिमनदों में हिम की गहराई, हिमपुंज अवधि और हिमगलन अपवाह में कमी हो सकता है। जलवायु परिवर्तन का जल संसाधनों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिससे जल की उपलब्धता, गुणवत्ता और विश्वसनीयता प्रभावित होती है। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में अत्यधिक वृद्धि, अवक्षेपण में गंभीर स्थानिक-कालिक परिवर्तन और मौसम में अनपेक्षित परिवर्तन पाया जा रहा है, जो वर्षा और उसके वितरण के साथ-साथ नदी जल प्रवाह, भूजल, हिमालयी जल स्रोतों के जल प्रवाह और जल गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। जलवायु परिवर्तन और हिममंडल के क्षेत्र में इन समस्याओं के समाधान और उसके उपयुक्त प्रबंधन के लिए, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रूडकी में हिममंडल और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र (Centre for Cryosphere and Climate Change Studies) स्थापित किया गया है। इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान की एक ऐसी शाखा स्थापित करना है जो जलवायु और हिममंडल के मध्य पारस्परिक संबंधों के अध्ययन और हिमालयी नदियों में जल की उपलब्धता पर उसके प्रभाव के अध्ययन पर केंद्रित हो । हिममंडल और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र का उद्देश्य भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) के जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करना है। केंद्र, परिवर्तनीय जलवायु परिस्थितियों के अंतर्गत भारतीय हिमालयी क्षेत्र में हिम, हिमनदों, हिमनद झीलों और हिमालयी जल स्रोतों का उचित मानचित्रण करके, सर्वोत्तम तकनीकों को प्रदान करने और विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों और संगठनों के सहयोग से हिमालयी हिममंडल पर ज्ञानकोष विकसित करके, जल की उपलब्धता का आंकलन करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। केंद्र एक हिममंडल प्रयोगशाला से भी सुसज्जित है।

वर्तमान अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ:

हिममंडल और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र, हिमालय क्षेत्र (गंगोत्री हिमनद, मिलेम हिमनद, खतलिंग हिमनद और त्रिलोकी हिमनद) में जलवायु परिवर्तन अध्ययन के साथ-साथ प्रायोगिक अध्ययन भी कर रहा है, जिसमें स्वचालित मौसम केंद्र, स्वचालित जल स्तर रिकॉर्डर आदि जैसे उन्नत स्वचालित उपकरणों के साथ- साथ अत्याधुनिक जलविज्ञानीय प्रेक्षणशालाओं की स्थापना सम्मिलित है। यधपि यह केंद्र अभी प्रारंभिक अवस्था में है, तथापि यह केंद्र हिम और हिमनद के योगदान तथा हिम और हिमनद पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, हिमनद झील विस्फोट बाढ़ और द्रव्यमान संतुलन तथा स्प्रिंगशेड प्रबंधन के क्षेत्र में व्यापक कार्य कर रहा है। सुदूर संवेदी आंकड़ों तथा भौगोलिक सूचना तंत्र उपकरणों की सहायता से जलविज्ञानीय विश्लेषण के लिए विभिन्न निदर्शों, जैसे SNOWMOD, SPHY एवं VIC का अनुप्रयोग किया जा रहा है। केंद्र राष्ट्रीय जलविज्ञान परियोजना (NHP), विज्ञान एवं प्रौधौगिकी विभाग (DST), भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS), हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की अविरत्ता के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) और हिमालयी अध्ययन पर राष्ट्रीय मिशन (NMHS) परियोजनाओं में भी भाग ले रहा है। इसके अलावा, केंद्र भारत में पर्वतीय जल स्रोतों की प्रथम जनगणना में तकनीकी संस्था के रूप में भी सहायता प्रदान कर रहा है। केंद्र जल संसाधन सूचना के लिए वेब-आधारित पोर्टल विकसित करने में सक्रिय रूप से शामिल है।

दृष्टि एवं उद्देश्य:

जल संसाधनों के लिए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हिममंडल और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र का उद्देश्य जलवायु और जलविज्ञानीय चक्र के बीच जटिल अंतःक्रियाओं के सम्बन्ध में उन्नत वैज्ञानिक ज्ञान और जानकारी विकसित करना है। केंद्र का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में स्थायी जल संसाधन प्रबंधन प्रथाओं, अनुकूलन रणनीतियों और नीतियों के विकास में योगदान करना है। केंद्र का दृष्टि एवं उद्देश्य है:

  1. जल उपलब्धता, जल गुणवत्ता और जल प्रबंधन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की जांच करना। इसमें जलवायु परिवर्तनशीलता और दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन के प्रत्युत्तर में वर्षा पद्धति, तापमान, वाष्पीकरण दर और नदी जल प्रवाह में परिवर्तन का अध्ययन करना शामिल है।
  2. परिवर्तनीय जलवायु परिस्थितियों के अंतर्गत जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं का अनुकरण और भविष्यवाणी करने के लिए जलविज्ञान निदर्श, आंकडा विश्लेषण तकनीक और निर्णय समर्थन उपकरण विकसित करना और उनमें सुधार करना।
  3. हिमालयी क्षेत्र में, बढ़ते तापमान के कारण हिमाच्छादन कम हो जाता है, हिमगलन शीघ्र होता है और हिमनद तेजी से पिघलते हैं। अतः केंद्र का उद्देश्य विभिन्न जलवायु परिदृश्यों के अंतर्गत हिम और हिमनदों के व्यवहार का अनुकरण और जल संसाधनों, नदी जल प्रवाह और जल उपलब्धता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की भविष्यवाणी करने में सहायता करना है ।
  4. जलवायु एवं हिमालयी जल स्रोतों के जलविज्ञान के क्षेत्र में अंतःविषयक सहयोग और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, अनुसंधान संस्थानों और हितधारकों के साथ सहयोग करना।
  5. जलवायु जल विज्ञान और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में शोधकर्ताओं, पेशेवरों और निर्णयकर्ताओं को प्रशिक्षण, शिक्षा और ज्ञान हस्तांतरण प्रदान करके क्षमता निर्माण प्रयासों में योगदान देना।
  6. जल संसाधन प्रबंधन, निर्णय लेने और अनुकूलन रणनीतियों का समर्थन करने के लिए जलवायु जानकारी और पूर्वानुमान प्रदान करना। इसमें नीति निर्माताओं, जल प्रबंधकों और अन्य हितधारकों को जलवायु जानकारी को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिए उपकरण और तकनीकें विकसित करना सम्मिलित है।

हिममंडल और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र, परिवर्तनीय जलवायु परिस्थितियों के अंतर्गत, उन्नत शोध, निदर्श विकास और जलवायु सेवाएँ प्रदान करके जल संसाधन प्रबंधन के लिए अधिक लचीले एवं अनुकूलात्मक अनुसंधान क्षेत्र में योगदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

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