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केंद्र के बारे में

B. Chakraborty

Dr. Ravi Galkate
Scientist-E & Head
National Institute of Hydrology
Central India Hydrology
Walmi Complex, Near Kaliasot Dam
Post Ravi Shankar Nagar
Bhopal– 462016(Madhya Pradesh), India
Ph: 07582-237347, 237943, Fax: 07582-237943
Email: nihrcs[at]gwri[dot]net[dot]in, galkate[dot]nihr[at]gov[dot]in

दृष्टि पत्र:

भारत का मध्य भाग सिंचाई के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी के कारण मुख्य रूप से वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर है। उपयुक्त जल संसाधन प्रबंधन की कमी, छययुक्‍त जल विभाजक, बार-बार पड़ने वाले सूखे, भूजल की कमी, पानी की गुणवत्ता में गिरावट, और वन आवरण में कमी ने इस क्षेत्र में पानी की अपर्याप्‍त उपलब्धता, फसल की उपज में कमी और गरीबी को बढ़ा दिया है। इन परिस्थितियों में, जल संसाधनों के सतत प्रबंधन एवं गुणवत्ता अनुसंधान एवं विकास गतिविधियॉं क्षेत्र में प्रमुख चुनौती है। राष्‍ट्रीय जलविज्ञान संस्‍थान, क्षेत्रीय केन्‍द्र भोपाल द्वारा सूखा, कृत्रिम पुन:भरण, जलाशय अवसादन, कमाण्‍ड क्षेत्र प्रबंधन आदि के क्षेत्रो में नई तरीको और पदघतियो के विकास कर जल संसाधनों के प्रबंधन का व्‍यापक लक्ष्‍य रखा है। इसके अतिरिक्‍त, इस क्षेत्र में अक्‍सर आने वाली बाढ़, सूखा और हीटवेव जैसे चरम घटनाओं के मददेनजर मध्‍य भारत क्षेत्र में नदी घाटियो में जल ससांधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावो का अध्‍ययन पर भी ध्‍यान केन्द्रित किया है। कृत्रिम पुनर्भरण एवं वर्षा जल संचयन हेतु प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण हेतु क्षेत्रीय केन्द्र, भोपाल को वर्षा जल केन्द्र के रूप में चिन्हित किया गया है।

रा.ज.स., मध्य भारत जल विज्ञान क्षेत्रीय केंद्र (सीआईएचआरसी), भोपाल को पूर्व में दक्षिण गंगा मैदान क्षेत्रीय केन्‍द्र के रूप में जाना जाता था। गंगा दक्षिण मैदान क्षेत्रीय केंद्र 1 दिसंबर 1995 को सागर में स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य गंगा में उत्‍तरी और से मिलने वाली नदियो के जल विज्ञान के सभी पहलुओं में व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययनों को सहायता, बढ़ावा देना और समन्वय करना था। इस केंद्र को 1 नवंबर 2012 को एमपी-वाल्मी कैंपस, भोपाल में स्थानांतरित कर दिया गया था। चूंकि केंद्र मध्य भारत में स्थित है, इसलिए इसे वर्ष 2015 में "मध्य भारत जल विज्ञान क्षेत्रीय केंद्र (सीआईएचआरसी)" के रूप में बदल दिया गया है। यह केंद्र बनास, चंबल, कालीसिंध, बेतवा, धसान, केन, टोंस, सोन, महानदी, नर्मदा, ताप्ती, वैनगंगा आदि जैसे मध्य भारत के बेसिन और उप-बेसिन की विभिन्न जल विज्ञान संबंधी समस्याओं के विषय अध्‍ययन करता है। रा.ज.स., सीआईएचआरसी, भोपाल के अधिकार क्षेत्र में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का दक्षिणी भाग, दक्षिण-पूर्व राजस्थान, उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिमी झारखण्‍ड और महाराष्‍ट्र का विदर्भ क्षेत्र शामिल है।

अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ

स्थापना के बाद से क्षेत्रीय केंद्र, मांग-संचालित, क्षेत्र-उन्मुख अनुसंधान अध्ययनों में मुख्य रूप से जल संसाधन विभागों के हितधारकों की वास्तविक समस्याओं को हल करने का कार्य करता है। केंद्र द्वारा किए गए प्रमुख अनुसंधानो में बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए सूखा मूल्यांकन और शमन, मध्य भारत में कई जलाशयों के लिए अवसादन अध्ययन, जल उपलब्धता अध्ययन, मॉडलिंग दृष्टिकोण का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, सिंचाई कमांड में सिंचाई योजना, नदी कायाकल्प योजना, वाटरशेड प्रबंधन आदि है।

वर्तमान में, क्षेत्रीय केंद्र भोपाल राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी) के तहत छह उद्देश्य संचालित अध्ययन (पीडीएस) पर काम कर रहा है जिनमें जल संसाधन विभाग, म.प्र. के सहयोग से तीन पीडीएस अध्ययन शामिल है, जबकि जल संसाधन विभाग, राजस्थान के सहयोग से एक पीड़ीएस से अध्‍ययन शामिल है। ये पीडीएस अध्ययन मुख्य रूप से तवा सिंचाई परियोजना के लिए जलाशय संचालन नीति, मध्य प्रदेश के गंगा नदी उप बेसिन में रबी सिंचाई के प्रभावों का मूल्यांकन, मध्य प्रदेश में संजय सागर कमांड में सिंचाई वापसी प्रवाह का आकलन, मध्य प्रदेश में सिंचाई परियोजना के प्रभाव और प्रदर्शन मूल्यांकन, चम्‍बल जल विभाजक में सिचांई परियोजना और जलवायु परिवर्तन का सूखे एवं मरुस्‍थलीकरण पर पड़ने वाले प्रभावो का अध्‍ययन, हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग दृष्टिकोणों के माध्यम से नर्मदा बेसिन में जल विज्ञान पर जलवायु परिवर्तन और भूमि-उपयोग परिवर्तन के प्रभावों का एकीकृत मूल्यांकन और राजस्‍थान में खुली नहर और पाइप सिंचाई में विभिन्न दक्षताओं का तुलनात्मक मूल्यांकन है। क्षेत्रीय केन्‍द्र द्वारा सिस्टम सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी, यूके के सहयोग से GWAVA मॉडल का उपयोग करते हुए नर्मदा के मॉडलिंग पर एक अध्ययन किया गया था। मप्र के सागर जिले के लिए वैज्ञानिक हस्तक्षेप के माध्यम से गांव के तालाबों के पुनरुद्धार पर एक डीएसटी प्रायोजित परियोजना भी की गई थी। क्षेत्रीय केंद्र ने जल से संबंधित विशिष्ट मुद्दों जैसे बांध टूटने की दशा मे आपातकालीन कार्य योजना के विकास, जल उपलब्धता मूल्यांकन, और मध्य प्रदेश में जल संसाधन की छह परियोजनाओं के जल विज्ञान की जांच के साथ-साथ इंदौर आई आई टी में वर्षा जल संचयन प्रणाली की योजना बनाने के साथ क्षेत्रीय केंद्र एनआईएच मुख्यालय और अन्य राज्य और केंद्र सरकार के विभागों के सहयोग से कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में शामिल रहा है। जल शक्ति मंत्रालय के जल शक्ति अभियान में केंद्र के वैज्ञानिक सक्रिय रूप से शामिल रहे है। केंद्र की गतिविधियां मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों जैसे सीजीडब्ल्यूबी, सीडब्ल्यूसी, सीपीसीबी, वाल्मी, डब्ल्यूआरडी, पीएचई, एसडब्ल्यूएमए, आदि के साथ व्‍यापक संपर्क का पालन करती हैं। क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिक विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों और विश्वविद्यालयों जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची, आदि के छात्रों को एम.टेक और पीएचडी के लिए तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।


पृष्ठ अंतिम बार दिनांक 01.02.2023 को अपडेट किया गया